संकष्टी चतुर्थी
गणेश की पूजा
इस दिन भगवान गणेश की पूजा का विशेष विधान बताया गया है।
इस दिन गणेश पूजन से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और कष्ट दूर हो जाते हैं।
सावन माह में भगवान शिव के पूजन का विधान है।
ऐसे में उनके पुत्र भगवान गणेश जी के पूजन से विघ्नहर्ता प्रसन्न होते हैं।
कैसे करें व्रत:
व्रत रखने वाले जातक फलों का सेवन कर सकते हैं।
साबूदाना की खिचड़ी, मूंगफली और आलू खा सकते हैं. मान्यता है कि संकष्टी चतुर्थी संकटों को खत्म करने वाली चतुर्थी है।
पूजन विधि:
- सबसे पहले सुबह स्नान कर साफ और धुले हुए कपड़े पहनें. पूजा के लिए भगवान गणेश की प्रतिमा को ईशानकोण में चौकी पर स्थापित करें. चौकी पर लाल या पीले रंग का कपड़ा पहले बिछा लें.
- भगवान के सामने हाथ जोड़कर पूजा और व्रत का संकल्प लें और फिर उन्हें जल, अक्षत, दूर्वा घास, लड्डू, पान, धूप आदि अर्पित करें. अक्षत और फूल लेकर गणपति से अपनी मनोकामना कहें, उसके बाद ओम गं गणपतये नम:’ मंत्र बोलते हुए गणेश जी को प्रणाम करें.
- इसके बाद एक थाली या केले का पत्ता लें, इस पर आपको एक रोली से त्रिकोण बनाना है.
- त्रिकोण के अग्र भाग पर एक घी का दीपक रखें. इसी के साथ बीच में मसूर की दाल व सात लाल साबुत मिर्च को रखें.
- पूजन उपरांत चंद्रमा को शहद, चंदन, रोली मिश्रित दूध से अर्घ्य दें. पूजन के बाद लड्डू प्रसाद स्वरूप ग्रहण करें.