शुक्ल पक्ष
अमावस्या और पूर्णिमा के बीच के अंतराल को शुक्ल पक्ष कहा जाता है।
अमावस्या के बाद के 15 दिन इस पक्ष में आते है।
अमावस्या के अगले ही दिन से चन्द्रमा का आकर बढ़ना शुरू हो जाता है या ऐसा कहा जाये कि चन्द्रमा की कलाएं भी बढ़ती है।
जिससे चन्द्रमा बड़ा होता जाता है और रातें अँधेरी नहीं रहती बल्कि चाँद की रौशनी से चमक जाती है और चाँद की चांदनी से भर उठती है।
इस दौरान चंद्र बल मजबूत होता है और यही कारण है कि कोई भी शुभ काम करने के लिए इस पक्ष को उपयुक्त और सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।
किसी भी नए काम की शुरुआत भी शुक्ल पक्ष में ही की जाती है। हर महीने के पंद्रह दिन कृष्ण पक्ष में आते है और अन्य पंद्रह दिन शुक्ल पक्ष में।
दोनों ही पक्षों की अपनी अलग अलग खासियत है लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं की शुक्ल पक्ष को कृष्ण पक्ष से श्रेष्ठ माना जाता है।
अगर आप का विश्वास भी पंचांग में है तो अपने विशेष काम शुक्ल पक्ष में ही करें।