अमरनाथ

भगवान शिव के कई पवित्र धामों में एक धाम अमरनाथ गुफा भी है।

अमरनाथ की यह गुफा जम्मू-कश्मीर राज्य में स्थित है। मान्यता के अनुसार भगवान शिव ने माता पार्वती को इसी गुफा में बैठकर अमरत्व की कथा सुनाई थी।

इस कारण से इस गुफा का इतना महत्व है। इस गुफा में हर साल प्राकृतिक रूप से ठोस बर्फ से शिवलिंग बनता है।

शिवलिंग के अलावा पास में ही माता पार्वती और शिवपुत्र भगवान गणेश का भी बर्फ का लिंग बना हुआ होता है।

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अमरनाथ

शिवलिंग और माता का शक्तिपीठ एक साथ अमरनाथ गुफा में बाबा भोलेनाथ जहां साक्षात विराजमान रहते हैं वहीं देवी सती का महामाया शक्तिपीठ भी है।

इस स्थान पर देवी सति का कंठ गिरा था। एक साथ एक ही स्थान पर शिवलिंग और शक्तिपीठ के दर्शन से सभी तरह की मनोकामना की पूर्ति होती है।

अमरनाथ गुफा को करीब 500 साल पहले खोजा गया था और इसे खोजने का श्रेय एक मुस्लिम, बूटा मलिक को दिया जाता है।

बूटा मलिक के वंशज अभी भी बटकोट नाम की जगह पर रहते हैं और अमरनाथ यात्रा से सीधे जुड़े हैं।

सबसे पहले भगवान शिव ने अपने नंदी का त्याग किया। जहां पर उन्होंने नंदी को छोड़ा उसे पहलगाम कहा जाता है। अमरनाथ गुफा की यात्रा यहीं से आरम्भ होती है।

इसके बाद अपनी जटा से चंद्रमा को मुक्त किया था। जहां पर चंद्रमा का त्याग किया वह चंदनवाणी कहलाती है।इसके बाद भगवान शंकर ने गले में धारण सांपों को छोड़ा।

यह स्थान शेषनाग कहलाई गई। इसके बाद शिवजी ने गणेशजी को महागुणस पर्वत पर छोड़ दिया, महादेव ने जहां पिस्सू नामक कीडे़ को त्यागा, वह जगह पिस्सू घाटी है।

कबूतरों ने भी सुन ली थी अमरकथा अमरकथा के दौरान कबूतरों को एक जोड़ा भी मौजूद था जो अमरकथा सुना रहा था और बीच-बीच में गूं-गूं की आवाज निकाल रहे थे।

महादेव को लगा पार्वती कथा सुन रही हैं। अमरकथा सुनने से कबूतर अमर हो गए। गुफा में आज भी कबूतरों का जोड़ा दिखाई देता है।

मान्यता है कि आज भी इन दो कबूतरों के दर्शन भक्तों को होते हैं।

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