भागवत पुराण – अग्नि पुराण
भागवत पुराण की कथा
भागवत पुराण हिन्दुओं के अट्ठारह पुराणों में से एक है। इसे श्रीमद्भागवतम् या केवल भागवतम् भी कहते हैं। इसका मुख्य वर्ण्य विषय भक्ति योग है, जिसमे कृष्ण को सभी देवों का देव या स्वयं भगवान के रूप में चित्रित किया गया है।
इसके अतिरिक्त इस पुराण में रस भाव की भक्ति का निरुपण भी किया गया है। परंपरागत तौर पर इस पुराण का रचयिता वेद व्यास को माना जाता हैं।
श्रीमदभागवत भारतीय वाङ्मय का मुकुटमणि है। भगवान शुकदेव द्वारा महाराज परीक्षित को सुनाया गया भक्तिमार्ग का तो मानो सोपान ही है। इसके प्रत्येक श्लोक में श्रीकृष्ण-प्रेमकी सुगन्धि है।
इसमें साधन-ज्ञान, सिद्धज्ञान, साधन-भक्ति,सिद्धा-भक्ति, मर्यादा-मार्ग, अनुग्रह-मार्ग, द्वैत, अद्वैत समन्वय के साथ प्रेरणादायी विविध उपाख्यानों का अद्भुत संग्रह है।
भागवत पुराण में महर्षि सूत गोस्वामी उनके समक्ष प्रस्तुत साधुओं को एक कथा सुनाते हैं। साधु लोग उनसे विष्णु के विभिन्न अवतारों के बारे में प्रश्न पूछते हैं।
सुत गोस्वामी कहते हैं कि यह कथा उन्होने एक दूसरे ऋषि शुकदेव से सुनी थी। इसमें कुल बारह सकन्ध हैं। प्रथम काण्ड में सभी अवतारों को सारांश रूप में वर्णन किया गया है।
The Bhagavata Purana is one of the eighteen Puranas of the Hindus. It is also called Srimad Bhagavatam or simply Bhagavatam. Its main narrative theme is Bhakti Yoga, in which Krishna is portrayed as the Lord of all Gods or the Lord Himself.
Apart from this, in this Purana, the devotion of Ras Bhava has also been described. Traditionally, the author of this Purana is considered to be Ved Vyas.
Shrimad Bhagwat is the crown jewel of Indian literature. It is like a step on the path of devotion narrated by Lord Shukdev to Maharaj Parikshit. Every verse of this has the fragrance of Shri Krishna’s love.
In this, there is a wonderful collection of inspirational various anecdotes with Sadhan-Gyan, Siddhgyan, Sadhan-Bhakti, Siddha-Bhakti, Maryada-Marg, Anugrah-Marg, Duality, Advait coordination.
In the Bhagavata Purana, Maharishi Suta Goswami narrates a story to the sadhus presented before him. Sages ask him questions about the various incarnations of Vishnu.
Suta Goswami says that he had heard this story from another sage Sukadeva. There are a total of twelve sects in it. In the first episode, all the incarnations are described in summary form.