गैलेरी वास्तुशास्त्र के अनुसार

Vastu Purush Vastu Shastra

मकान या फ्लैट की गैलेरी वास्तुशास्त्र के अनुसार

मकान या फ्लैट की गैलेरी वास्तुशास्त्र के अनुसार, यदि भूखण्ड पूर्वोन्मुख है, तो गैलेरी उत्तर-पूर्व में उत्तर की ओर निर्धारित करें। पश्चिम की ओर उन्मुख होने पर गैलेरी उत्तर-पश्चिम में पश्चिम की ओर रखें।

उत्तर की ओर भूखण्ड होने पर गैलेरी को उत्तर-पूर्व में उत्तर की ओर बनाना चाहिए। भूखण्ड के दक्षिण की ओर उन्मुख होने पर गैलेरी दक्षिण पूर्व में दक्षिण दिशा में बनाई जानी चाहिए।

सूर्य का प्रकाश एवं प्राकृतिक हवा

मोटे तौर यह जान लेना चाहिए कि प्रात कालीन सूर्य का प्रकाश एवं प्राकृतिक हवा का प्रवेश मकान में बेरोक-टोक होता रहे इसलिए आपकी बालकनी उसी के अनुसार होनी चाहिए।

यह वायव्य कोण या ईशान एवं पूर्व दिशा में मध्य में रखें, तो ज्यादा उत्तम है।

स्वागत हॉल में मेहमानों के बैठने का स्थान जैसे सोफा-फर्नीचर दक्षिण और पश्चिम दिशाओं की ओर रखें।

बैठक के लिए उत्तर और पूर्व की ओर खुली जगह अधिक रखनी चाहिए।

घर में अलमारी या लॉकर बनाने के लिए भी मुहूर्त देखना चाहिए। स्वाति, पुनर्वसु, श्रवण, घनिष्ठा, उत्तरा व पावार इस हेतु शुभ हैं और प्रथमा, द्वितीया, पंचमी, सप्तमी, दशमी, एकादशी, त्रयोदशी व पूर्णिमा तिथियाँ इस हेतु श्रेष्ठ हैं। अलमारी (विशेषतः लकड़ी वाली) यदि कहीं बहुत पतली या बहुत चौड़ी हो तो घर में अन्न-धन की कमी बनी रहती है।

अतः सम चौड़ाई वाली अलमारी हो।

तिरछी कटी अलमारी भी धन का नाश करती है। जोड़ लगाया हुआ लॉकर या अलमारी घर में रखने पर कलह व शोक होता है।

अलमारी या लॉकर आगे की तरफ झुकते हों तो गृहस्वामी घर से बाहर ही रहता है। अलमारी व लॉकर का मुख सदैव पूर्व या उत्तर की ओर खुले। विधिवत पूजन के बाद ही उसमें वस्तुएँ रखें व हर शुभ अवसर पर इष्ट देव के साथ लॉकर का भी पूजन करें (कुबेर पूजन) ताकि घर में बरकत बनी रहे।

तहखाना आजकल शहरों में स्थानाभाव के कारण लोग मकान में अंडर ग्राउण्ड तहखाने का निर्माण कर रहे हैं।

तलधर अथवा तहखाना कहाँ होना चाहिए। यह ध्यान रखना बहुत जरूरी है। वास्तु शास्त्र के अनुसार तलधर का निर्माण भूमि के पूर्व में या उत्तर दिशा में करें, तो शुभ है।

यह भी सुनिश्चित करें कि तलधर आवासीय कदापि न हो अर्थात् उसमें आप तथा आपका परिवार निवास नहीं करता हो।

अन्यथा आप हमेशा कष्ट में रहेंगे। तहखाने का निर्माण इस प्रकार करें कि उसके चारों ओर बराबर खाली भूमि छोड़ें।

मध्य भाग में निर्माण कार्य करवाएँ। यदि तहखाने का आकार विशाल वस्तु आकार का हो अथवा चूल्हे के आकार का हुआ, तो यकीन मानें आपके तथा आपके परिवार के लिए कतई शुभ नहीं है। भवन का विनाश निश्चित है।

पार्किंग भवन में पार्किंग वास्तु के अनुसार दक्षिण-पूर्व या उत्तर-पश्चिम दिशा में ही बनवाएँ। पशुशाला यदि आप अपने मकान का निर्माण वृहद उद्देश्यों की प्राप्ति को ध्यान में रखकर करने जा रहे हैं, तो पशुशाला का निर्माण मकान में उत्तर-पश्चिम दिशा अर्थात् वायव्य कोण में निर्धारित कर लें।

वास्तु शास्त्र के अनुसार यह अत्यंत शुभ होता है।

गायों-दुधारु पशुओं का स्थान वायव्य कोण में ही निर्धारित किया गया है। वह पवित्रता जो मंदिर में रखी जाती है, उसके नियमों का पालन वहाँ किया जाता है, वह लाख कोशिशों के बाद भी हम हमारे घरों में नहीं रख सकते। घर को सुंदर घर रहने दीजिए, उसे इतना पवित्र करने की कोशिश न करें कि हम सरलता से जीना भूल जाएँ।

पूजा का एक निश्चित समय होना चाहिए। ब्रह्म मुहूर्त सवेरे 3 बजे से, दोपहर 12 बजे तक के पूर्व का समय निश्चित करें। ईशान कोण में मंदिर सर्वश्रेष्ठ होता है।

हमारा मुँह पूजा के समय ईशान, पूर्व या उत्तर में होना चाहिए, जिससे हमें सूर्य की ऊर्जा एवं चुंबकीय ऊर्जा मिल सके। इससे हमारा दिन भर शुभ रहे। कम से कम देवी-देवता पूजा स्थान में स्थापित करें।

एकल रूप में स्थापित करें। मन को पवित्र रखें। दूसरों के प्रति सद्भावना रखें तो आपकी पूजा सात्विक होगी एवं ईश्वर आपको हजार गुना देगा। आपके दुःख ईश्वर पर पूर्ण भरोसा करके ही दूर हो सकते हैं।

जानकार गुरु आपको सही मार्ग दिखाता है, पर उन्हें भी कसौटी पर कसकर, लोगों से पूछकर, राय जानकर उनके पास 100 प्रतिशत भरोसे से जाएँ तभी आपका कार्य सफल होगा। थोड़ी देर की पूजा स्थान की शांति हमारे मन के लिए काफी है। ध्यान केंद्र व अगरबत्ती लगाने का स्थान घर में होगा तो आप सुखी रहेंगे। जब भी ईश्वर के प्रति भावना जागे।

घर में सिर्प असाधना लगेगी?

घर से नहीं, प्राण प्रतिष्ठित मंदिर में पूजा-पाठ से चमत्कार होगा। कम से कम प्रतिमाएँ, कम से कम तस्वीर (लघु आकार की), पाठ, मंत्रोच्चार, कम से कम समय एकांत में रहिए तो सही अर्थों में पूजा-प्रार्थना सार्थक होगी।

एक ‘सद्गृहस्थ’ को यह नियम अपनाने से घर-परिवार में सुख-शांति आएगी। ईश्वर की सेवा में कुछ दान-पुण्य, गौ-सेवा, मानव सेवा कीजिए। आजकल वास्तुदोष निवारण के लिए अनेक उपाय खोज लिए गए हैं, जैसे फेंगशुई, जल थैरेपी, मिरर थैरेपी, पिरामिड शास्त्र आदि विधाएँ न केवल एक देश व स्थान में ही, बल्कि सम्पूर्ण विश्व के देशों में अपनाई जा रही हैं तथा इसका लाभ भी उन्हें प्राप्त हो रहा है।

यदि आपका मकान दुखदाता हो अर्थात् मकान में नकारात्मक ऊर्जा का विचरण होता रहता हो, तो नकारात्मक ऊर्जा को सकारात्मक ऊर्जा में तब्दील करने के लिए ये उपाय कर सकते हैं।

आपने देखा या खुद महसूस किया होगा अथवा अखबारों,पत्र-पत्रिकाओं, दूरदर्शन आदि के माध्यम से पढ़ा-सुना होगा, किसी पुराने मकान या पुरानी हवेली में निवास करने वाले लोग अक्सर भय व आतंक के माहौल में जीते हैं।

वे प्राय शिकायत करते हैं कि हवेली में भूत रहता है, जो अक्सर घर के सदस्यों को परेशान करता रहता है। भूत रात्रि में विचरण करता है, आदि-आदि।

लेकिन क्या असल में वहाँ भूत या प्रेत रहता है या नहीं?

दरअसल उस मकान में नकारात्मक ऊर्जा का विचरण होता रहता है, जो उस घर में पहले ही आकर बस चुकी होती है, ऐसे मकानों में कभी-कभी विभिन्न प्रकार की गंध, अगरबत्ती की खुशबू, अथवा किसी छाया का धुँधला आभास होता है, जो प्राय कृष्ण पक्ष में ही होता है, जिसे भूत मान लिया जाता है और इसके परिणामस्वरूप घर में निवास करने वाले सदस्यों का जीवन तबाह होता रहता है।

ऐसे हालात में मन से भूत का वहम निकाल कर

निम्नलिखित उपाय करें

मकान की लॉबी में हर रोज संध्या के समय किसी धातु की कटोरी में कपूर की एक छोटी-सी टिकिया जलाएँ। कुछ ही दिनों में मकान से नकारात्मक ऊर्जा का अन्यत्र पलायन शुरू हो जाएगा।

यदि आपका संयुक्त परिवार बिखर गया है, आप अकेलेपन से पीड़ित रहते हैं, घर में बहुत कम सदस्य रह गए हों अथवा उस लंबे चौड़े मकान में केवल पति-पत्नी ही रहते हों, पति अक्सर टूर पर रहते हैं, तो पत्नी को चाहिए कि हर शाम मकान में धीमी आवाज में कोई भजन-कीर्तन या धार्मिक कैसेट बजाएँ। इससे उनकी उदासी दूर होगी। मकान काटने को नहीं दौड़ेगा।

तुलसी का एक पौध

यदि आपके मकान का प्रवेश द्वार किसी नकारात्मक दिशा में स्थित हो, तो वहाँ सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह को सुनिश्चित करने के लिए प्रवेश द्वार की दाईं एवं बाईं तरफ काली तुलसी का एक पौध लगा दें।

जिन लोगों का एक्वेरियम रखने का पहले अनुभव नहीं है, उन्हें पहली बार मछलियों के रख-रखाव में दिक्कतें आ सकती हैं। मछलियों को रखने वाला वाटर टैंक कैसा हो? इसके रखने का ढंग कैसा हो?

मछलियों का रख-रखाव कैसे किया जाना चाहिए? और उन्हें किस ढंग से खाना-पीना देना चाहिए? यह कुछ ऐसी बातें हैं जिनका पर्याप्त ज्ञान न होने के कारण घर में एक्वेरियम रखना कठिन होता है।

यदि कोई गलती हो जाए तो असावधानीवश मछलियाँ मर भी सकती हैं।

किस साइज का वॉटर टैंक का चुनाव किया जाए, इस बात का ध्यान रखना चाहिए। वॉटर टैंक का आधार मजबूत होना चाहिए वरना पानी के बोझ में यह नीचे से टूट सकता है।

वॉटर टैंक के बेस पर थर्मोकॉल की शीट लगानी चाहिए जिससे उसे काफी सहारा मिलता है।

हालाँकि छोटे वॉटर टैंक बड़े की तुलना में काफी सस्ते होते हैं, लेकिन उन्हें ज्यादा देखभाल की जरूरत होती है।

60 लीटर का वॉटर टैंक कई मछलियों के रखने के लिए उपयुक्त होता है। वॉटर टैंक के बेस को मजबूती देने के लिए छोटे कंकड़-पत्थर का इस्तेमाल करें।

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