पितृपक्ष श्राद्ध

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हमारे मर्यादाओं सस्कार पंचांग के हिसाब से भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि (20 सितंबर 2021) सोमवार ब्रत की पूर्णिमा से पितृपक्ष प्रारंभ हो रहा है और आश्विन माह महालया पक्ष कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि (6 अक्टूबर 2021) बुधवार को पितृ विसर्जन किया जाएगा।

पितृ पक्ष सितंबर महीने में प्रारंभ होंगे। हिंदू पंचांग के अनुसार, अश्विन मास की पूर्णिमा तिथि से पितृपक्ष आरंभ होंगे। पितृ पक्ष अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि से कुल 16 दिनों तक मनाए जाते हैं। इस वर्ष 2021 में पितृ पक्ष 20 सितंबर से शुरू होकर 6 अक्टूबर तक रहेंगे। मान्यता है कि पितृ पक्ष में पितरों से संबंधित कार्य करने पर उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। हिंदू धर्म में पितृ गण देवतुल्य होते हैं।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पितृपक्ष में पूर्वजों का तर्पण नहीं करने पर पितृ दोष लगता है। पितृ पक्ष में मृत्यु की तिथि के अनुसार श्राद्ध किया जाता है। अगर किसी मृत व्यक्ति की तिथि ज्ञात न हो तो ऐसी स्थिति में अमावस्या तिथि पर श्राद्ध किया जाता है। इस दिन सर्वपितृ श्राद्ध योग माना जाता है।

पितृ पक्ष की महत्वपूर्ण तिथियां-

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल पितृ पक्ष 20 सितंबर से शुरू होंगे, जो कि 6 अक्टूबर को समाप्त होंगे। इस साल 26 सितंबर को पितृ पक्ष की कोई तिथि नहीं है।

पितृ पक्ष 2021 की तिथियां
पूर्णिमा श्राद्ध – 20 सितंबर
प्रतिपदा श्राद्ध – 21 सितंबर
द्वितीया श्राद्ध – 22 सितंबर
तृतीया श्राद्ध – 23 सितंबर
चतुर्थी श्राद्ध – 24 सितंबर
पंचमी श्राद्ध – 25 सितंबर
षष्ठी श्राद्ध – 27 सितंबर
सप्तमी श्राद्ध – 28 सितंबर
अष्टमी श्राद्ध- 29 सितंबर
नवमी श्राद्ध – 30 सितंबर
दशमी श्राद्ध – 1 अक्तूबर
एकादशी श्राद्ध – 2 अक्टूबर
द्वादशी श्राद्ध- 3 अक्टूबर
त्रयोदशी श्राद्ध – 4 अक्टूबर
चतुर्दशी श्राद्ध – 5 अक्टूबर
अमावस्या श्राद्ध – 6 अक्टूबर

भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से लेकर अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तक पितृ पक्ष मनाया है।इस दौरान पितरों को तर्पण और विशेष तिथि को श्राद्ध अवश्य करना चाहिए। इस पक्ष में पितृ यमलोक से धरती पर आते हैं और अपने परिवार के आस-पास विचरण करते हैं।

श्राद्ध करने से पितरों की तृप्ति के लिए भोजन करवाया जाता है, जिससे उनको शांति मिलती है और आशीर्वाद भी देते हैं। पितरों को आशीर्वाद से घर में सुख-शांति के अलावा आर्थिक समृद्धि भी मजबूत होती है।

पितृपक्ष में अगर पितरों का श्राद्ध न करें तो इससे वह नाराज हो जाते हैं।

इस तरह करें श्राद्ध

श्राद्ध को हमेशा दोपहर के समय करना चाहिए, क्योंकि सुबह का समय देवी-देवताओं का होता है। श्राद्ध मृत्यु वाली तिथि को किया जाता है।

👌 इस बीच ब्रह्मचर्य शाका हारीलेषण प्याज
पालक तुमड़ी गाजर बंद गोबी बैगन भुज
मशहूर की दाल आदि का प्रयोग निषेद है👌

👌 श्रद्धा से श्राद्ध भोजन में आलू मूल लोकी गाबा
पिना लु दाडिम ककड़ी मौषम के अनुसार फल और सब्जी चावल दाल बड़े खीर पूरी रायता सब्जी तरह तरह भोजन आदि👌 धार्मिक मान्यतानुसार अपने पूर्वजों के सम्मान व आत्मा के तारण हेतु तर्पण व श्राद्ध किया जाता है। वर्ष की जिस भी तिथी को पूर्वजों का निधन हुआ हो, पितृ पक्ष की उसी तिथि पर या 16 दिन में रोज उनका श्राद्ध किया जाता है। भाद्रपद पूर्णिमा को केवल उन पित्रों का श्राद्ध किया जाता है, जिनका निधन पूर्णिमा तिथि को हुआ हो।

तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध का मुख्य मतलब है
शांति तर्पण श्राद्ध और पिंडदान इसका अर्थ निम्न तया समझे

  • 👌तर्पण का अर्थ है कि हम अपने पित्रों को कुश तिल जो मिश्रित जल दान अर्पण
  • 👌पिंडदान स्व पित्र के निमित्त भोजन अन्नं बस्त्र दान आदि
  • 👌श्राद्ध का अर्थ है श्रद्धा
  • 👌गया बिहार में पित्र मुक्त क्षेत्र जहा पर माता सीता द्वारा कुछ चीज श्रापित की गई थी जैसे तुलसी, कौआ, गाय

महाभारत में पितामह भीष्म पितामह ने युधिष्ठिर को बताया था कि श्राद्ध कर्म करना चाहिए

सुना है महर्षि निमि को अत्रि मुनि ने श्राद्ध तर्पणका ज्ञान दिया था तब से हम ऋषि तर्पण भी करते हैं इसके सिवा देव तर्पण भी करते हैं

  • श्राद्ध तिथियां
  • इस बार की निम्न है 2021
  • श्राद्ध पक्ष 2021 की तिथियां
  • 20-9-2021- पूर्णिमा श्राद्ध ।
  • 21-9-👌- प्रतिपदा श्राद्ध।
  • 22-9-👌- द्वितीया श्राद्ध।
  • 23-9-👌- तृतीया श्राद्ध।
  • 24-9-👌- चतुर्थी श्राद्ध।
  • 25-9-👌- पंचमी श्राद्ध।
  • 26 -9 – 👌👌 ———–
  • 27-9-👌- षष्ठी श्राद्ध।
  • 28-9-👌- सप्तमी श्राद्ध।
  • 29-9-👌- अष्टमी श्राद्ध।
  • 30-9-👌- नवमी श्राद्ध।
  • 1-10-👌- दशमी श्राद्ध
  • 2-10-👌 – एकादशी श्राद्ध ।
  • 3-10-👌-द्वादशी श्राद्ध ।
  • I4-10-👌- त्रियोदशी श्राद्ध
  • 5-10-👌- चतुर्दशी श्राद्ध।
  • 6-10-👌-आमावस्या श्राद्ध,
  • पितृ विसर्जन,

इस बीच नही कर पाए किसी कारण बस
अज्ञात तिथि श्राद्ध। अमावस्या को करे

सामग्री👌पिंड दान में जो तिल तुलसी गाय का घी दूध मधु चीनी
भात चावल पिंड जो का आटा के पिंड कहीं कहीं खीर के पिंड खोया पिण्ड गुड़ तिल के पिंड आदि का उपयोग किया जाता है👌

👌मुख्य द्वार पर सुबह साफ सफाई के बाद जो ओर तिल को डालना चाहिए
पितृ पक्ष में प्रतिदिन गाय गो माता को भोजन कराएं। पूर्णिमा से अमावस्या तक प्रति दिन सुबह शाम को घी का दीपक दक्षिण मुखी करके जलाये। भोजन में पहले गाय कौवे के लिए रखें। हो सके तो रोज घर में तीर्थ में तर्पण व पिंडदान करें।

  • 👌पिंडदान कहा कहा कहा कहा किये जाते हैं
  • 👌अयोद्धया
  • 👌मथुरा
  • 👌कुरूक्षेत्र
  • 👌हरिद्वार
  • 👌काशी
  • 👌उज्जैन
  • 👌त्र्यम्बकेस्वर
  • 👌ओंकारेश्वर नर्मदा किनारे
  • 👌बद्रीनाथ
  • 👌गया बिहार
  • 👌पशु पति नाथ नेपाल
  • 👌कांनची दिक्षण भारत
  • 👌द्वारिका
  • 👌गंगा सागर
  • अन्य भी बहुत सी जगह है इन जगह पर

तर्पण और श्राद्ध समय अनुसार सूर्योदय सूर्यास्त से पहले किया जाय ।
पितरों के निमित्त जरूरतमंद व्यक्तियों को

भोजन अन्न व वस्त्र धन आदि जो हो सके सुपात्र को ही दान करें। श्राद्ध में पूज्य बहिन उसके बच्चे परिवार बुआ उसका परिवार कुल पंडित अपने सहोदरी परिवार वाले अन्य जितना हो सके बस्त्र अन्न द्रब्य दान दान की महिमा भी कर्ण या राजा हरीश चंद्र की तरह होनी चाहिए।

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