केतू

Vaidik Jyotish

केतू (Dragon’s tail, cauda, descending node)

मित्र
शत्रु
सम
अधिपति
मूलत्रिकोण
उच्च
नीच
कला/किरण
लिंगउभयलिंग।
दिशाउत्तर – पश्चिम।
शुभ रंग
शुभ रत्नबिल्ली की आँख, लापुज लाजुली
शुभ संख्या
देवता

बीज मंत्र :

ऊँ स्राम् स्रीम् स्रौम् से केतुवे नम:। (40 दिन में 17000 बार)।

वैदिक मंत्र :

केतु कृणवन्न केतवे पेशो मर्या अपेशसे। समुशभि्उर जायथा:।।

दान योग्य वस्तुएं :

सोना, चीनी, तिल, सुरमा, कस्तूरी, काला या सफेद कंबल, सतअनाजा, काले या सफेद कुत्ते को भोजन का भाग (रविवार को सुबह के समय)।

स्वरूप :

लम्बा कद, आसानी से उत्तेजित होने वाले।

त्रिदोष व शरीर के अंग :

पेट/तोंद

रोग :

त्वचा संबंधी रोग, शरीर में सनसनाहट, आत्घाती प्रवृति, लाइलाज बीमारी, पेट दर्द, बदन दर्द, बुखार, मोतियाबिंद, प्लीहा का बढ़ना, पैरों की जलन, फोड़ा, अन्जाने कारणों से होने वाले रोग, खसरा, विस्फोटक/तेज बुखार, कुष्ठ रोग, कटना चोट लगना, अण्डकोष में वृद्धि, कृत्रिम विष, फेफड़े की समस्या।

प्रतिनिधित्व :

अध्यात्मिकता, उस राशि का स्वामी जहां कि वह स्थित है।

विशिष्ट गुण :

विवाह तथा आध्यात्म का ग्रह, मोक्ष कारक, एक रहस्यमय, भ्रामक, गुप्त व पेचीदा ग्रह।

कारक :

नाना, दादी, स्वप्न, मोक्ष, आँखें, दासता, सरकारी जुर्माना, षड़यंत्र, जख्म, आग से दुर्घटना, हत्या, दण्ड, कारावास, जहर, बुरी आत्मा, अपराधी, व्यभिचारी, चिकित्सक, अंतिम मुक्ति, आकसि्मक मौत, छल से वध करना, दुर्भावनापूर्ण, असभ्य व जहरीला भाषण, विदेशी भूमि पर जीवन, कुष्ठ, अपहरण, तुनकमिजाज, गिरफ्तारी, चोट, उन्माद, जादू – टोना, अलगाव, कृमि, कृमि के कारण होने वाले रोग, दर्शन, लम्बा कद, शरीर पर दाग/धब्बे, धुंएदार रंग, निरंतर धुम्रपान करने वाले, ज्योतिष, धर्म, कंजूस, आत्महत्या, दिवालिया, काटना, संभोग/समागम।

व्यवसाय व जीविका :

धर्मोपदेशक, दर्शन, चिकित्सक, दवा का व्यापारी, रहस्मयी विज्ञान, कचड़ा पेटी, षड़यंत्रकारी/आलेखक, कंकाल, हड्डी, मुर्दाघर, पशुवधशाला, गंदे नाले का कार्य, जहरीली दवाएं, कसाई का काम, दुर्गन्धपूर्ण गंदे स्थल, चमड़ा व खाल, हड्डी मिल, लाशें। सत्याचार्य के अनुसार केतु शनि से संबंधित व्यावसायों पर शासन करता है।

You may also like...

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

8 + 1 =