बृहस्पति
बृहस्पति- Jupiter (Satwik, fiery, benefic)
मित्र | सूर्य, चंद्रमा, मंगल। |
शत्रु | बुध, शुक्र। |
सम | शनि। |
अधिपति | धनु, मीन। |
मूलत्रिकोण | धनु 0°-10° |
उच्च | कर्क 5° |
नीच | मकर 5° |
कला/किरण | 10/12 |
लिंग | पुलिंग। |
दिशा | उत्तर -पूर्व। |
शुभ रंग | हल्का नीला, नींबू जैसा पीला। |
शुभ रत्न | पीला नीलम, स्वर्णिम पुखराज (4 से 6 कैरेट का, सोने में)। |
शुभ संख्या | 3, 12, 21. |
देवता | नारायण, शिव, इन्द्र, ब्रह्मा। |
बीज मंत्र :
ऊँ ग्राम् ग्रीम् ग्रौम् से गुरुवे नम:। ( 19000 बार)।
वैदिक मंत्र :
प्रियंगुकलिकाश्यामं रूपेणाप्रतिमं बुधम्। सौम्यम् सौम्यगुणोपेतं तं बुधं प्रणामाम्यहम्।।
दान योग्य वस्तुएं :
देवानां च ऋशीणां च गुरु कान्चन सन्निभम्। बुधिभूतं त्रिलोकेश तं गुरुं प्रणामाम्यहम्।।
स्वरूप :
गोरी रंगत, तन्दुरुस्त शरीर, स्थूल, सुस्त।
त्रिदोष व शरीर के अंग :
जांघ, कफ, जीभ, फेफड़ा, कान, घुटना, गुर्दा, यकृत, मोटापा, मस्तिष्क, प्लीहा।
रोग :
पेट की समस्याएं, गैसीय समस्याएं, मानसिक समस्याएं, मधुमेह, बदहजमी, आंत उतरना, बेहोशी, मोतियाबिंद, अंगों का बढ़ना, कान, फेफड़ा या नाभि से संबंधित रोग, पेट फूलना, अधिवृक्क, फोड़ा, बवासीर, मानसिक उलझन, रक्तहीनता, पित्ताशय, पीलिया, जलोदर/ड्राप्सी, ज्वर, नासूर, चक्कर आना, बदन दर्द, सिर चकराना।
प्रतिनिधित्व :
ज्ञान, बुद्धि, खुशहाली, समृद्धि, जीव।
विशिष्ट गुण :
आध्यात्मिक, विस्तार व गरिमा का दार्शनिक ग्रह, आध्यात्मिकता व बुद्धि प्रदान करता है, एक आदर्श ग्रह, द्विपद।
कारक :
गुरु, दादा -दादी, पति, पुत्र, धर्म, धार्मिक क्रियाकलाप, विश्वास, ग्रन्थ, बलिदान, भक्ति, सद्गुण, धन-सम्पदा, बुद्धिमानी, शिक्षा, ज्ञान, शाही सम्मान, तर्क, ज्योतिष, इंद्रियों पर नियंत्रण, सदाचार, जनन, समृद्धि।
व्यवसाय व जीविका :
दार्शनिक, प्राध्यपक, न्यायाधीश, कानून, वकील, अदालत, छात्र, सम्मानित स्थिति, बैंक, आय -कर, भंडारण, राजस्व, संपादक, शिक्षक, लेखा परीक्षक, विज्ञापन, कोषाध्यक्ष, सभासद, पुजारी, संत व ऋषि, धर्मार्थ संस्थाएं, मंदिर, शेयर बाजार, मंत्री।