शुक्र

Vaidik Jyotish

शुक्र – Venus (Rajsik, airy, brahmin)

मित्रबुध, शनि
शत्रुसूर्य, चंद्रमा
सममंगल, बृहस्पति
अधिपतिवृष, तुला
मूलत्रिकोणतुला 0°-15°
उच्चमीन 27°
नीचकन्या 27°
कला/किरण12/14
लिंगस्त्रीलिंग।
दिशादक्षिण – पूर्व।
शुभ रंगगुलाबी, क्रीम रंग।
शुभ रत्नहीरा, सफेद गोमेद/मूंगा।
शुभ संख्या6, 15, 24.
देवतालक्ष्मी, इंद्राणी, शाची।

बीज मंत्र :

ऊँ ध्राम् ध्रीम् ध्रौम् से शुक्राए नम:। ( 6000 बार)

वैदिक मंत्र :

हिमकुन्द मृणालाभं दैत्यानां परमं गुरुम्। सर्व भास्त्र प्रवक्तारं भर्गव प्रणामाम्यहम्।।

दान योग्य वस्तुएं :

चीनी, घी, दही, कपूर, चावल, चांदी, सफेद फूल, सफेद कपड़ा, सफेद गाय ( शुक्रवार को सूर्योदय के समय)।

स्वरूप :

घघराले बाल, सुन्दर शरीर, आकर्षक स्वरूप, आकर्षक आँखें, यौवनपूर्ण रूप, अल्पहारी, काव्यात्मक, वातरोगी, सुस्त।

त्रिदोष व शरीर के अंग :

प्रजनन अंग, कफ, वात, आँखें, मूत्र, वीर्य।

रोग :

मोतियाबिंद, जलोदर, शरीर में अत्यंत कष्टदायी पीड़ा, चेहरा, आँख व गुप्तांगों के रोग, अत्यधिक यौनेच्छा या स्वप्नदोष, गुप्त रोग, मूत्राशय में पथरी, गुर्दा, दौरा, मूत्राशय संबंधी रोग, सूजन, प्रजनन संबंधी समस्याएं, मधुमेह।

प्रतिनिधित्व :

इंद्रिय सुख, कामोत्तेजक संवेग, जीव।

विशिष्ट गुण :

काव्य – ग्रह, भौतिकवाद का, शारीरिक सुख का ग्रह तथा वैभव का सूचक, जीवन – शक्ति, कांति, वीर्य, व्यायाम व खेल, कला व संस्कृति।

कारक :

विवाह, पत्नी, पत्नी के माता – पिता (सास – ससुर), नाना – नानी, यौन – इच्छा, काम, सुन्दर, इत्र, सुगंध, फूल, संगीत, नृत्य, गीत, नाटक, यौवन, कलात्मक योग्यता, विलासितापूर्ण वस्तुए, गहने, अच्छे कपड़े, कोष/निखात निधि, चांदी, रत्न, मोती, वाहन, भावनात्मक सुख, आवेग, खट्टा, काले बाल, जलीय स्थान, जल क्रीड़ा, मदिरा, रसदार वस्तुएं, कामुकता, मांगल्यकारक, कामलिप्सा, हवस, वीर्य, सुविधाएं।

व्यवसाय व जीविका :

कवि, चित्रकारी, कलाकार, संगीतकार, नाटककार, सिनेमा से संबंधित कार्य, वस्त्र, वस्त्र निर्माता, जौहरी, बुनकर, इत्र, वाहन व्यापारी, उत्पादन शुल्क, दुग्धशाला, नौ – सेना, बिल्डींग इंजीनियर, ट्रान्सपोर्ट डीलींग, आयकर, सम्पत्ति कर, राजस्व आदि। यदि राहु/केतु के शनि के साथ संबंध है, ब्युटी पार्लर।

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